mung ke bhav mein teji kab aayegi – केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ सीजन में मूंग की बुवाई का रकबा पिछले साल के 31.50 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस साल 35.46 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस आधार पर मंत्रालय ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में मूंग का उत्पादन 11.54 लाख टन से बढ़कर 13.83 लाख टन होने की संभावना जताई है। बेहतर उत्पादन और मिलर्स/स्टॉकिस्टों की सीमित खरीद के कारण इस महत्वपूर्ण दाल का थोक बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे आ गया।
मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को सरकार ने बढ़ाया
नतीजतन, सरकार को अपनी एजेंसियों के जरिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत किसानों से इसकी खरीद शुरू करनी पड़ी। मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1.4 फीसदी बढ़ाकर 8682 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में बाजार भाव कम होने के कारण इसकी खरीद में मिलर्स/स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ने की संभावना है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार ऐसा लग रहा है कि बाजार अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है और आने वाले समय में इसके और नीचे जाने की संभावना बहुत कम है। सरकारी खरीद के सहारे आने वाले समय में इसमें कुछ सुधार हो सकता है।
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लेकिन भारी स्टॉक को देखते हुए मूंग के भाव में तेजी आना मुश्किल लग रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में मूंग का उत्पादन उत्साहजनक नहीं रहा, लेकिन राजस्थान में फसल काफी अच्छी रही। कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी फसल को कुछ नुकसान हुआ। राजस्थान की मंडियों में मूंग की अच्छी आवक है और अब खरीदारों की ओर से मांग बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।